होगे फ़ागुन हा सर पे सवार ‘
जोहार ले जोहार ले जोहार।
नरवा खलखल हांसत है,
नवा नवा फ़ूटत है धार्।(जोहार ले – – – –
बरदी के सुत गे गोसैया,
सन्सो में हवय खेत खार। जोहार ले – – – –
दिल हा चना के जवान है,
औ राहेर लगत हे कचनार। जोहार ले- – – –
धान के कोनो पुछैया नाही,
औ खड़े है चना के खरीदार। जोहार ले – – –
अमली के सा्ड़ी हा सरकत है,
औ लहकत हे आमा के डार। जोहार ले
कोड़ही मन हा फ़ाग सुनावत।
गोल्लर मन फ़ांदव दीवार । जोहार ले- – –
फ़गुआ पी के सूते है,
औ होगे मन्टोरा फ़रार। जोहार ले – – –
बिछिया नथनी करधन पहीने,
बुधियारिन घलोक हे तैयार। जोहार ले – – –
पपची देहरौरी चखा दे बहीनी,
देवारी के गुझिया ला टार। जोहार ले – – –
रंग गुलाल लगावन कैसे’
अपन भाटों के मुंह ला फ़ार। जोहार ले – – –
होली के खरही जलाये बर ,
हिरदय के लकड़ी ला बार। जोहार ले – – –
दिल के गांठ ला खोलव गा,
यही है होली के सार। जोहार ले – – –
डॉ. संजय दानी
संजय भाई , सुग्घर ग़ज़ल लिखे बर बधाई.
अरूण भाई ला परनाम।